Google डूडल: आज के दिन भारत की पहली महिला भौतिक विज्ञानी (physicist) और मौसम विज्ञानी (meteorologist) अन्ना मणि (Anna Mani) का 104 वां जन्मदिन काफी अलग तरीके से मना रहा है।
अन्ना मणि भारत की पहली भौतिक विज्ञानी और मौसम विज्ञानी है। विज्ञान के क्षेत्र में उनके द्वारा किये गए योगदान को आज, Google Doodle सम्मानित कर रहा है।
अन्ना मणि ने मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने के लिए वह भारत को अक्षय ऊर्जा में सफलता दिलाने के लिए कई शोध किये। जिसमे उन्हें सफलता प्राप्त हुई। अन्ना मणि के प्रयासों के कारण आज मौसम विभाग के वैज्ञानिक मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने में सक्षम है।
महिला साइंटिस्ट अन्ना मणि कौन है ?
Google Doodle Celebrate – अन्ना मणि के सफल शोध कार्यो ने उन्हें भारत की पहली महिला भौतिक वैज्ञानिक और मौसम वैज्ञानिक बनाया।
भारत की पहली महिला साइंटिस्ट का जन्म 23 अगस्त, 1918 में हुआ।अन्ना मणि का जन्म स्थान पूर्व राज्य त्रावणकोर के पीरुमाडे गांव में हुआ था। पूर्व राज्य त्रावणकोर जिसे वर्तमान में केरल राज्य के नाम से जाना जाता है।
पुरुष प्रधान समाज में अन्ना मणि ने अपनी शैक्षणिक पात्रता के बल पे अपने कार्य क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। वह देश के समक्ष महिला सशक्तिकरण का उदहारण पेश किया।
अन्ना मणि को बचपन से ही पढ़ने लिखने में रूचि थी। इसी रूचि के चलते उन्होंने केवल बारह वर्ष की आयु में एक Public Library की सारी पुस्तकों का अध्ययन कर लिया था।
अन्ना मणि की प्रारम्भिक शिक्षा
अन्ना मणि ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूर्व राज्य त्रावणकोर (वर्तमान में केरल) से प्राप्त की। प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद अपनी Intermediate Science course के लिए Women’s Christian College (WCC) में दाखिला करवाया।
Intermediate (12th) की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपना एडमिशन मद्रास में प्रेसीडेंसी कॉलेज से Physics और Chemistry में ऑनर्स से Bachelor of Science (B.SC) की शिक्षा पूरी की।
उन्होंने बैचलर की डिग्री प्राप्त करने के बाद महिला क्रिश्चियन कॉलेज (WCC) में बतौर शिक्षक के रूप में 1 साल तक काम किया। इसके बाद आगे पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई के लिए अन्ना मणि ने भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर से आगे की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप प्राप्त किया।
अन्ना मणि अपनी शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप प्राप्त करने के बाद पोस्ट ग्रेजुएट में भौतिकी विज्ञान का अध्ययन करने के लिए लंदन चली गई।
वहां पर लंदन के इंपीरियल कॉलेज में भौतिकी विज्ञान का अध्ययन करने के दौरान उनकी दिलचस्पी मौसम संबंधी उपकरणों में होने लगी। इंपीरियल कॉलेज से मौसम संबंधी उपकरणों में विशेष उपलब्धि प्राप्त की।
भौतिक विज्ञान में विशेषज्ञता हासिल करने के साथ-साथ उन्होंने स्पेक्ट्रोस्कोपी का भी अध्ययन किया। स्पेक्ट्रोस्कोपी यानि (माणिक और हीरे)के अध्ययन में विशेषज्ञता उन्होंने नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी वी रमन के मार्गदर्शन वह प्रशिक्षण से प्राप्त की।
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अन्ना मणि ने किस विभाग में कार्य किया
लंदन से भौतिक विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन वह मौसम संबंधी उपकरण में विशेषज्ञता प्राप्त करने के बाद वह साल 1948 में भारत वापस लौट आई।
भारत लौटकर अन्ना मणि मौसम विज्ञान विभाग (IMD) में कार्यरत हो गई। मौसम विज्ञान विभाग में उन्होंने अपना बहुत बड़ा योगदान दिया।अपनी योग्यता का प्रयोग करके साल 1950 में उन्होंने Solar Radiation Monitoring Stations का एक नेटवर्क बनाया।
वह मौसम विभाग की भविष्यवाणी हेतु कई उपकरणों को डिज़ाइन किया। उनके द्वारा किये गए शोध ने मौसम की भविष्यवाणी करने में अपनी बड़ी भूमिका निभाई।
साल 1987 में मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) ने उनको उप महानिदेशक के रूप में चुना। अपने कार्यकाल में अन्ना मणि ने लगभग 100 से अधिक मौसम संबंधित उपकरणों को डिज़ाइन किया।
अन्ना मणि को कौन से पदक से सम्मानित किया गया
भारत के प्रति समर्पित मौसम विज्ञान विभाग में उनके कार्यो व योगदान के लिए उन्हें Indian National Science Academy (INSA) ने अन्ना मणि को K.R रामनाथन पदक से सम्मानित किया।
मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) में उनके योगदान वह कार्यो के लिए उन्हें “भारत की मौसम महिला”के रूप में याद किया जाता है।
महिला सशक्तिकरण के लिए एक मिसाल
अन्ना मणि भारत देश में महिला सशक्तिकरण के लिए एक मिसाल कायम किया है। भारत की पहली महिला वैज्ञानिक बनी। लंदन से शिक्षा ग्रहण करने के बावजूद भी उनके मन में अपने देश के प्रति प्रेम व समर्पण भाव था।
भारत देश वापस लौटने पर उन्होंने अपने कार्यो से भारत की उन्नति के रास्ते खोले। यही नहीं देश की आजादी के लिए उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन का समर्थन किया। वह गांधी के आदर्शों को मानने वाली महिला थी। इसलिए अन्ना मणि ने खादी को अपनाया।